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अमेरिका में 'जॉम्बी संकट', एक ड्रग की वजह से सड़कों पर घूम रहीं 'जिंदा लाशें'

इंटरनेट पर ऐसे वीडियो वायरल हो रहे हैं जिनमें लोग अजीब हरकतें करते नज़र आ रहे हैं.

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इंसानों को ज़ॉम्बी जैसा बना रही है दवा. फैल रही है बीमारी. (तस्वीर: ट्विटर)

चीन पर कोविड-19 महामारी फैलाने का आरोप लगाने वाला अमेरिका खुद एक बहुत बड़े स्वास्थ्य संकट से जूझ रहा है. ये खतरा ड्रग्स के बढ़ते सेवन से बढ़ रहा है. वहां ड्रग ओवरडोज़ से मरने वाले लोगों की संख्या में लगातार उछाल आ रहा है. 'जाइलाजीन' नाम के एक ड्रग को इसकी बड़ी वजह बताया जा रहा है. इसका असर कुछ ऐसा है कि लोग ‘ज़िंदा लाश’ बन रहे हैं. एक 'ज़ॉम्बी' की तरह उनके शरीर सड़ने लगे हैं. इंटरनेट पर ऐसे वीडियो वायरल हो रहे हैं जिनमें लोग अजीब हरकतें करते नज़र आ रहे हैं.

अमेरिका के अवैध ड्रग मार्केट में मिल रही है जाइलाज़ीन  (फ़ोटो क्रेडिट: आज तक)

इस संकट की वजह है जाइलाज़ीन (Xylazine) नाम का एक ड्रग. पिछले कुछ सालों में अमेरिका के अवैध ड्रग मार्केट में ये ड्रग काफी ज्यादा बिका है. वजह है नशा. लोग इसे अलग-अलग ड्रग्स में मिला कर नशा कर रहे हैं. उन्हें इसकी बहुत ज्यादा लत लग रही है. और अब ये वहां के स्वास्थ्य अधिकारियों के लिए सिरदर्द बन गई है.

क्या है जाइलाज़ीन?

फर्स्टपोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक जाइलाज़ीन 1960 में तैयार हुई थी. इसे ‘ट्रैंक’ या ‘ज़ॉम्बी ट्रैंक’ भी कहा जाता है. एक बड़ा सा शब्द है ‘ट्रैंक्विलाइज़र’ (Tranquillizer). मतलब, बेहोशी की दवा. उसी को छोटे में ‘ट्रैंक’ बोल देते हैं.  

जाइलाज़ीन को अमेरिका में जानवरों (जैसे गाय, घोड़ा) को बेहोश करने या दर्द कम करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. वहां के फ़िलेडैल्फ़िया शहर के ‘डिपार्टमेंट ऑफ़ पब्लिक हैल्थ’ ने 2019 में एक स्टडी की. इसके मुताबिक 2000 के दशक की शुरुआत में पुएर्तो रीको (Puerto Rico) से जाइलाज़ीन का इस्तेमाल शुरू हुआ घोड़ों को बेहोश करने के लिए. इसे इंसानों के लिए अप्रूव नहीं किया गया. लेकिन लोग इसे हेरोइन और फेंटानील जैसे ड्रग्स के साथ मिलाकर अवैध रूप से नशा कर रहे हैं.

जाइलाज़ीन एक ‘ओपिओइड (Opioid)’ नहीं है. मतलब इसे अफीम से नहीं बनाया जाता. लेकिन असर कुछ वैसा ही होता है. हमारे दिमाग में ‘ओपिओइड रिसेप्टर्स’ होते हैं. अगर ओपिओइड ‘मेहमान’ हैं, तो रिसेप्टर्स ‘जजमान’. ये रिसेप्टर्स किसी दवा में मौजूद ओपिओइड के साथ मिलकर हमारे दिमाग में तरह-तरह की हरकतें करते हैं. इन दोनों में ताले और चाबी सा रिश्ता होता है. एक ताला यानी ‘ओपिओइड रिसेप्टर’ एक खास किस्म की चाबी यानी ‘ओपिओइड’ से ही खुलता है.

जब हम कोई ऐसी दवा या पेनकिलर लेते हैं जिसमें ‘ओपिओइड’ होता है, तो वो हमारे अंदर जाकर ‘ओपिओइड रिसेप्टर’ को खोजती है. जब वो ओपिओइड अपने साथी रिसेप्टर को ढूंढ लेता है तो दोनों लॉक हो जाते हैं. इसके बाद दिमाग में बहुत सारे केमिकल लोचे होते हैं. दर्द में आराम मिलता है. नींद आने लगती है. कुछ मामलों में बहुत आनंद और मज़ा भी मिलता है. इसीलिए नशे के शौकीन लोग इसे बिना किसी बीमारी के भी लेने लग जाते हैं और उन्हें इसकी लत लग जाती है. जाइलाजीन के मामले में भी यही हो रहा है. इसे लेने से अमेरिका में लोगों की हालत कैसी हो गई है वो इस वीडियो को देखकर समझ आ जाएगा.

फर्स्टपोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में ये भी बताया कि जो लोग इसे कानूनी तौर पर खरीद पा रहे हैं उन्हें ये लिक्विड के रूप में मिल रही है. इसकी पहले से भरी हुई शीशियां मार्किट में बिक रही हैं. इन्हीं से सीरिंज भरकर जाइलाज़ीन ली जा रही है. दवा ऑनलाइन पाउडर वाली पैकेजिंग में भी मिल रही है. इससे नशा करने वालों के ऑप्शन बढ़ गए हैं. वो जाइलाज़ीन को दूसरे ड्रग्स में मिला कर नाक से या निगल कर भी ले पा रहे हैं.

जाइलाज़ीन का असर?

जाइलाज़ीन सीधा हमारे सेंट्रल नर्वस सिस्टम (CNS) पर असर डालती है. इस सिस्टम के तीन हिस्से हैं:

-पहला आपका दिमाग, 
-दूसरा स्पाइनल कॉर्ड यानी रीढ़ की हड्डी और 
-तीसरा, नसों का नेटवर्क.

ये पूरा सिस्टम आपके शरीर में इधर-उधर जा रहे संदेशों का ‘हाईवे’ है. ये संदेश दिमाग से आपके अंगों तक और वापस आपके दिमाग तक हर वक़्त घूमते रहते हैं. जब कभी इस सिस्टम में कोई गड़बड़ हो जाती है तो बीमारियां होने लगती हैं. जैसे डिप्रेशन.

डिप्रेशन के मरीज़ों को अक्सर डॉक्टर एंटी-डिप्रेसेंट्स देते हैं. ये वो दवाएं होती हैं जिनसे ‘CNS हाईवे’ को दुरुस्त किया जाता है. मन में चल रही उधेड़बुन शांत होती है और मरीज़ को आराम मिलता है. कुछ ड्रग्स भी दिमाग में जा कर यही करते हैं. और जाइलाज़ीन वो बवाल चीज़ है जिससे ये पूरा सिस्टम हिल जाता है.

इंसानों में जाइलाज़ीन के ये साइड इफेक्ट्स देखे जा रहे हैं: 

-बेहोशी सी छाना
-चीज़ें भूलने लगना 
-सांसें धीमी चलना 
-दिल की धड़कन और ब्लड प्रेशर का कम हो जाना

दिक्कत तब और बढ़ जाती है जब कोई पहले से ही एंटी-डिप्रेसेंट ले रहा हो और फिर जाइलाज़ीन भी लेने लगे. ऐसे में ड्रग ओवरडोज़ हो सकता है. जान भी जा सकती है.  

फ़िलेडैल्फ़िया के ‘डिपार्टमेंट ऑफ़ पब्लिक हैल्थ’ की स्टडी में और भी चौंकाने वाली चीज़ें सामने आईं. ऊपर हमने फेंटानील की बात की थी. स्टडी के मुताबिक 2010 से 2019 के बीच इसी दवा की ओवरडोज़ से मरे लोगों पर फॉरेंसिक टेस्ट किए गए थे. उनकी जांच से पता चला हर साल जाइलाज़ीन के मामले बढ़ रहे थे.

ग्राफ में देखा जा सकता है कि कैसे हेरोइन और फ़ेंटानील के सैम्पल में हर साल जाइलाज़ीन के मामलों में बढ़ोतरी हुई (क्रेडिट: Department ऑफ पब्लिक हेल्थ, फ़िलेडैल्फ़िया)

फ़ेंटानील को अवैध रूप से लैबोरेटरी में बनाया जाता है. ये अपनेआप में हेरोइन से कई गुना ज़्यादा नशा देती है. इसमें जाइलाज़ीन भी मिला दी जाए तो क्या होता होगा, सोचिए!

जाइलाज़ीन को दूसरे ड्रग्स में मिलाकर लेने से त्वचा सड़ने लग जाती है. हाथ-पैरों पर पके हुए गड्ढे और ज़ख्म से होने लगते हैं. ये ज़ख्म नॉर्मल घावों की तरह जल्दी ठीक नहीं होते. फैलते चले जाते हैं. वक्त पर इलाज न मिले तो आगे जाकर उस अंग को काट कर निकालना पड़ता है. और भी खतरे हैं. मसलन, ड्रग्स से बेसुध व्यक्ति के साथ लूट-खसोट हो सकती है, यौन शोषण हो सकता है, एक्सीडेंट या कोई और दुर्घटना के होने के भी काफी चांस होते हैं.

क्यों ली जा रही है जाइलाज़ीन?

टाइम्स ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि जाइलाज़ीन को ड्रग डीलर्स दो वजहों से हेरोइन, कोकीन और फ़ेंटानील जैसी नशीली ड्रग्स में मिला रहे हैं:

- पहली, फ़ेंटानील जैसी ड्रग्स का असर काफी कम समय तक रहता है. इसके नशे को बनाए रखने के लिए दिन में पांच से छह बार तक इसके इंजेक्शन लेने पड़ सकते हैं जिसके अपने रिस्क हैं. नया इंजेक्शन लाने का झंझट रहता है. यहीं जाइलाज़ीन की एंट्री होती है. इसे जब हेरोइन, कोकीन और फ़ेंटानील में मिलाया जाता है तो लेने वाले को ज़्यादा “हाई” मिलता है और ज़्यादा देर के लिए मिलता है.

-दूसरा, जाइलाज़ीन उन ड्रग्स से सस्ता है जिनमें इसे मिलाया जाता है. मुनाफा कमाने के लिए ड्रग डीलर्स दवा में मिलावट करते हैं. ऐसा करने से घटिया क्वालिटी के माल पर भी मोटी कमाई हो जाती है. कम इन्वेस्टमेंट पर ज़्यादा रिटर्न.

कुछ ही डॉलर दे कर जाइलाज़ीन बड़ी आसानी से ही गली-नुक्कड़ पर मिल रही है. टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में ये भी बताया कि अमेरिका में इतिहास के सबसे घातक ओवरडोज़ संकट की शुरुआत हो चुकी है.

क्या है इलाज?

किसी को ‘ओपिओइड’ ड्रग ओवरडोज़ हो जाने पर ‘नैलोज़ोन (naloxone)’ नाम की दवा दी जाती है. चूंकि जाइलाज़ीन ‘ओपिओइड’ है ही नहीं और ना ही ये इंसानों के लिए बनी थी, इसलिए फिलहाल नैलोज़ोन भी किसी काम की नहीं रह गई है. हालांकि इसे ये सोच कर मरीजों को दिया जा रहा है कि जिस ड्रग में जाइलाज़ीन को मिलाया गया है शायद उसी के असर से कुछ राहत मिल जाए.

जाइलाज़ीन के तो अभी सिर्फ लक्षणों पर ही काम किया जा सकता है. जैसे सांस की दिक्कत और ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने की दवा देना. घाव के लिए एंटीबायोटिक देना.

जाइलाज़ीन और उस जैसी कई ड्रग्स ने अमेरिका में कहर मचाया हुआ है. सरकार टेंशन में है. अमेरिका पहले से ही ड्रग्स की समस्या से लड़ता आ रहा है. डेलीमेल ने बताया कि ड्रग ओवरडोज़ से 2021 में अमेरिका में एक लाख से ज़्यादा लोगों की जान चली गई. जाइलाज़ीन से संबंधित डेटा नियमित तौर पर रिकॉर्ड नहीं किया जाता है. ऐसे में इसके ओवरडोज़ से मर रहे लोगों की संख्या का अंदाज़ा लगाना मुश्किल है. सही डेटा मिलने पर मृतकों की संख्या में और बढ़ोतरी होने की आशंका है.

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